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पेयजल योजनाओं को मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाएगा

पेयजल योजनाओं को मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाएगा

 

विजय कुमार बंसल ब्यूरो चीफ हरिद्वार

मुख्य विकास अधिकारी महोदय के अध्यक्षता में विकास भवन स्थित सभागार में जल जीवन मिशन के अंतर्गत जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक आहूत की गई। जिसमें श्री यशबीर मल्ल अधीक्षण अभियंता उत्तराखंड जल संस्थान हरिद्वार, श्री एम मुस्तफा अधीक्षण अभियंता उत्तराखंड पेयजल निगम हरिद्वार, श्री अतुल प्रताप सिंह जिला पंचायत राज अधिकारी जनपद हरिद्वार, श्री विपिन कुमार अधिशासी अभियंता उत्तराखंड जल संस्थान हरिद्वार, श्री राजेश गुप्ता अधिशासी अभियंता उत्तराखंड पेयजल निगम हरिद्वार, श्री सीपीएस गंगवार, अधिशासी अभियंता पी0आई0यू0, अमृत रुड़की, श्री सुधीर कुमार अधिशासी अभियंता विद्युत यांत्रिकी शाखा उत्तराखंड पेयजल निगम हरिद्वार, श्री चंद्रकांत मणि नोडल स्वजल परियोजना हरिद्वार, तथा तृतीय पक्ष गुणवत्ता जांच एजेंसी QACA तथा TUV SUD south Asia एशिया के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग़ किया गया।

बैठक में जल जान मिशन की समीक्षा के दौरान मुख्य विकास अधिकारी द्वारा मुख्यतः पेयजल योजनाओं की वित्तीय एवं भौतिक प्रगति, हर घर जल प्रमाणीकरण की प्रगति, एफटीसी की ऑनलाइन प्रगति, योजनाओं की KML फाइल अपलोडिंग की प्रगति योजनाओं की ATR तथा FCR के संबंध में समीक्षा की गई। समीक्षा उपरांत मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा सभी शाखा अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि जनपद हरिद्वार में जल जीवन मिशन के प्रगति अन्य जनपदों के सापेक्ष अत्यंत न्यून होने के कारण सभी पेयजल योजनाओं को मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाए।

हर घर जल प्रमाणीकरण के अंतर को समाप्त किए जाने हेतु शाखा अधिकारियों सहित जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया गया कि नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक हर घर जल रिपोर्ट तथा हर घर जल प्रमाणीकरण के मध्य 58 राजस्व ग्रामों के अंतर को शत प्रतिशत समाप्त किया जाए तथा हर घर जल प्रमाणीकरण हेतु रोस्टर के माध्यम से प्रत्येक ग्राम में खुली बैठक आयोजित की जाए।

KML फाइल अपलोडिंग हेतु प्रत्येक शाखा स्तर पर एक कार्मिक को नियुक्त किया जाए ताकि 31 दिसंबर 2025 तक सभी योजनाओं की KML फाइल पीएम गति शक्ति पोर्टल पर अपलोड की जा सके।

तृतीय पक्ष गुणवत्ता जांच एजेंसी को भी निर्देशित किया गया कि भौतिक रूप से पूर्ण पेयजल योजनाओं की एफसीआई तत्काल शाखाओं को उपलब्ध कराई जाए जिससे योजनाओं की वित्तीय प्रगति भी बढ़ सके।

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